राजा की तपस्या से प्रसन्न हो गई थीं मां काली, फिर भक्त को इस रूप में दिया दर्शन, अनोखी है इस गुफा की कहानी

राजा की तपस्या से प्रसन्न हो गई थीं मां काली, फिर भक्त को इस रूप में दिया दर्शन, अनोखी है इस गुफा की कहानी

राजस्थान के हिल स्टेशन माउंट आबू में ऐसी कई प्राचीन गुफाएं हैं, जिनकी कहानी काफी रहस्यमयी है। ऐसी ही एक गुफा है, जहां करीब 550 साल पहले राजा गोपीचंद ने की थी तपस्या की थारी। इस तपस्या के दौरान उन्हें माँ काली की मूर्ति मिली थी। आज भी यहां मां काली की एक भव्य प्रतिमा स्थापित है। माउंट आबू शहर से 12 किमी दूर अचलगढ़ क्षेत्र में समुद्र तल से करीब 1450 मीटर की दूरी पर पहाड़ों के बीच गोपीचंद की गुफा में मां काली इमारतें स्थित हैं।

अचलगढ़ किले के पास स्थित इस गुफा को लेकर कई मान्यताएं भी हैं। यहां पहुंचने के लिए आपको अचलगढ़ किले के पथरीले पगडंडी के रास्ते से आना होगा। यहां मां चामुंडा और मां काली का मंदिर है, जहां भक्त से भक्त दर्शन करते हैं और इस ऐतिहासिक गुफा को देखने के लिए भक्त आते हैं। वाॅडल पर होने की वजह से यहां से अचलगढ़ का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है।

गोपीचंद को मिली थी माँ काली की मूर्ति
टूरिस्ट गाइड विजय राणा ने लोकल 18 को बताया कि आचगढ़ की गोपीचंद गुफा के अनुसार यहां भक्त की तपस्या से खूबसूरत मां काली प्रकट हुई थीं। जिस स्थान पर माँ काली दिखाई दी, उसी चट्टान की माँ की मूर्ति बनी हुई है। महाभारतकालीन का यह मंदिर करीब साढ़े पांच हजार साल पुराना है। माँ काली का मंदिर स्वयं ही स्थापित है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1452 में गोपीचंद महाराज जब माउंट आये थे, तब उन्होंने इसी मंदिर के अंदर गुफा में 12 वर्ष तपस्या की थी।

राजा की तपस्या से नीचे लिखी गई थी माँ काली के दर्शन
राजा गोपीचंद की तपस्या से मशहूर काली माँ के दर्शन नीचे दिए गए थे। आज भी इस गुफा में मां काली की करीब साढ़े छह फीट की मूर्ति मौजूद है, जो उसी चट्टान पर कलाकारी से बनाई गई है। मंदिर के अंदर गुप्त चट्टान पर गोपीचंद महाराज की छोटी सी मूर्ति भी है। नवरात्रि में यहां काफी भक्त दर्शन करने आते हैं।

राजा की तपस्या से आकर्षक हुई वाली मां काली, फिर भक्त को इस रूप में दिए दर्शन
अस्वीकरण: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्यों और आचार्यों से बात करके लिखी गई है। कोई भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि संयोग ही है। ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है। बताई गई किसी भी बात का लोकल-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है।

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